हर कहानी कुछ कहती है...
एक व्यक्ति अपने बगीचे को संवारने में व्यस्त था..तभी वहां रखी तस्तरी में उसने तितली के अंडे देखे..वह बहुत उत्साहित हुआ और रोज उनको विकसित होते देखने लगा..एक दिन एक अंडे में हलचल हुई वह अपनी ऑखों से नई जिन्दगी को आते देखने की लालसा में अब घंटो बगीचे में बैठा रहता..दिन प्रति दिन उस अंडे में हो रहे विकास की प्रक्रिया में अब उसमे दरारे आ गई..फिर वह दिन आया जब उसमें से एक छोटा सा सर धीरे-धीरे बाहर निकलता दिखाई दिया..यह देख उस व्यक्ति की उत्सुकता चरम पर थी..वह दौड़ कर अपने सूक्ष्मदर्शी यंत्र लाया ताकि पल-पल उस नन्हे की जन्मयात्रा देख पाए तब उसने देखा कि अंडे से बाहर आने के लिए वह नन्हा कितना संघर्ष कर रहा है...
दया भावना और सहायता करने के उद्देश्य से वह एक सूई लेकर अंडे में छेद करने लगा...जब वह नन्ही तितली पूरी तरह से अंडे से बाहर आई तो वह व्यक्ति बहुत खुश हुआ...अब उसे उस दिन का इंतजार था जब ये तितली परिपक्व होकर उड़ेगी...परन्तु एेसा नहीं हुआ..उस नन्ही का सर सामान्य से कुछ ज्यादा बड़ा होने के कारण वह उस तस्तरी में ही चिल्लाते हुए चार सप्ताह में मर गयी....वह व्यक्ति दु:खी मन से अपने एक जानकार मित्र के पास वजह जानने पहुचां....उसके मित्र ने बताया की अंडे से बाहर आने का जो संघर्ष है वही इनके सटीक रक्त संचार और सेहतमंद होने की प्रक्रिया है िजससे इनका पूर्ण विकास होता है...यह जानकर वह व्यक्ति ग्लानी से भर गया..
यह कहानी कहती है कि...संघर्ष... हमेशा जीवन की किठनाईयों से सामना करना सीखाता है, संघर्ष सम्पूर्ण व्यक्तित्व का विकास करने में सहायक होता है...माता पिता होने के नाते अपने बच्चों के साथ हम कुछ ऐसा ही व्यवहार करते है....हम यह नहीं चाहते की बच्चों को किसी भी प्रकार की परेशानी हो...परन्तु हमारा कर्तव्य है कि हम उन्हे सिखाए कि सड़क पर कैसे चलना है.. हमें उनके लिए सड़क का निर्माण करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए.... जय महाकाल
1 comment:
Good going. .. keep it up.
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